कोरोना को लेकर हुईं इन 4 रिसर्च को नजरअंदाज न करें

कोरोना को लेकर हुईं इन 4 रिसर्च को नजरअंदाज न करें

सेहतराग टीम

कोरोना वायरस दिन प्रतिदिन लोगों के लिए एक अनसुलझी पहेली बनती चली जा रही है। क्योंकि इसके मरीज तो बढ़ रहे हैं लेकिन अभी तक इलाज की कोई दवा नहीं बनाई जा पा रही है। इसी को लेकर पूरी दुनिया के वैज्ञानिक तकरीबन 6 महीने से जुटे हैं, लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है। हालांकि इससे जुड़े कई तरह के शोध हो चुके हैं जिसका प्रयोग आगे जाकर वैज्ञानिक करेंगे और वो जरुर कुछ ना कुछ आगे के शोध कार्यों में मदद करेगा। उन्ही शोधो में एक शोध अभी हाल ही में चीन की राजधानी बीजिंग के रोग नियंत्रण एंव रोकथाम केंद्र में हुआ, जिसमें बताया गया है कि कोरोना वायरस किसी भी संक्रमित सतह को छूने से कम फैलता है। हालांकि उस शोध में ये कहा गया है कि मरीज के सांस लेने और बात करने के दौरान निकले वायरस के कण से ज्यादा खतरा है। उस कण से संक्रमण का खतरा अधिक है।  

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1- सांस लेने और बोलने पर हवा में फैलता है वायरस

चीन के बीजिंग में हुए इस शोद की माने तो संक्रमित मरीज के सांस लेने से हर घंटे हवा में लाखों वायरस फैलते है। ऐसे में वायरस काफी तेजी से फैलता है। यही नहीं उस शोध में यहां तक कहा है कि अगर संक्रमित व्यक्ति छींकता है या खांसता है तो उस दौरान निकलने वाला सूक्ष्म पानी के बूंद से यह काफी तेजी से फैलता है। वहीं आपको बता दे कि यह शोध चीन के वैज्ञानिक जियांक्सिन मा के देखरेख में की गई है। इस शोध में तकरीबन 35 मरीजों के सैम्पल लिए गये थे। यह शोध चीन के शोधकर्ताओं ने सभी मरीजों के सांस, अस्पताल के कमरे, टॉयलेट,फर्श से जुटाए गए 300 से अधिक वायरस के नमूनों का अध्ययन करके किया है।

2- बढ़ता तापमान खत्‍म नहीं करता कोरोना वायरस

इसी तरह से अमेरिका के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक शोध में ये बात सामने निकलकर आई है कि गर्मी में तापमान बढ़ने से कोरोना वायरस नष्ट नहीं होता है। हालांकि इस शोध में ये कहा गया है कि गर्मी या बढ़ते तापमान के साथ इसके प्रसार में मामूली कमी जरूर आ सकती है। इसके लिए हार्वर्ड मेडिकल स्‍कूल के शोधकर्ताओं ने अमेरिका के सभी 50 राज्यों में तापमान की विविधता के आधार पर वहां फैले संक्रमण दर का अध्ययन किया है। इस रिसर्च में उन्होंने पाया कि तापमान बढ़ने पर वायरस की संक्रमण दर में मामूली गिरावट जरूर आती है लेकिन ये खत्‍म नहीं होता है। शोध के माध्‍यम से वैज्ञानिकों ने लोगों को सलाह दी है कि वे गर्मी के मौसम में एक दूसरे से दूरी बनाकर रखें और सभी जरूरी एहतियात भी बरतें। इसमें चेहरे पर मास्‍क लगाना, हाथों को लगातार साफ करते रहना, भीड़-भाड़ वाली जगहों पर न जाना आदि शामिल है। 

3- डॉक्‍टर से सलाह लेनी जरूरी

शोधकर्ताओं ने सलाह दी है कि यदि किसी को सर्दी या खांसी है तो वो दवा लेने से पहले डॉक्टर से जरूर सलाह ले। वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने अध्ययन के दौरान पाया कि इस तरह की दवा से वायरस की संख्या बढ़ जाती है। शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन अफ्रीकी हरे बंदर की प्रजाति पर किया था। इसके लिए इन्‍हें इसलिए भी चुना गया क्‍योंकि इनके शरीर में होने वाली प्रतिक्रिया काफी हद तक मनुष्‍यों के शरीर में होने वाली प्रतिक्रिया की ही तरह होती है। वैज्ञानिकों की मानें तो इसका उपयोग खांसी की दवा में इसलिए किया जाता है ताकि ये खांसी के संकेतों को मस्तिष्क में ही स्थिर कर सके। ऐसा होने पर मरीज को खांसी में राहत महसूस होती है।

4- दवा को लेकर एहतियात 

आपको बता दें कि कोरोना से संक्रमित मरीजों में छींक आने से लेकर खांसी होने के लक्षण के बारे में काफी पहले ही बता दिया गया था। इसको लेकर भी एक शोध सामने आया है जिसमें खांसी को ठीक करने के लिए डेक्सट्रोमेथोरफान का उपयोग न करने की सलाह दी गई है। नेचर जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार इसका उपयोग खांसी की सभी दवाओं में होता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति इससे बने कफ सिरप का इस्तेमाल करता है तो वह खांखी को दबा देता है ऐसे में मरीज में संक्रमण का पता लगाने में देरी हो सकती है। इस शोध में ये भी कहा गया है कि सर्दी-खांसी की दवा में इस्तेमाल होने वाले डेक्सट्रोमेथोरफान से कोरोना वायरस का खतरा बढ़ सकता है।

 

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